जब भी हम किसी ऐसी कंपनी के बारे में सोचते हैं जो प्रॉफिट के साथ-साथ एथिक्स, इंटीग्रिटी, और समाज सेवा की भावना को सर्वोपरि मानती है, तो हमारे दिमाग में सबसे पहले रतन टाटा का नाम आता है। टाटा ग्रुप न सिर्फ अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी उच्च वैल्यूज के कारण भी सम्मानित है। टाटा कंपनी अपने ग्राहकों के साथ एक गहरा और अटूट कनेक्शन बनाती है, जो हर किसी के दिल में अपनी जगह बना चुका है।
टाटा ग्रुप की शुरुआत करीब 200 साल पहले हुई थी, और इसे एक विशाल एंपायर बनाने में जमशेद जी टाटा, सर दरब जी टाटा, और जेआरडी टाटा जैसे कई महान नेताओं का योगदान है। 1991 से 2012 तक, रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में काम किया और अपने 22 साल के कार्यकाल में कंपनी के रेवेन्यू को 40% और प्रॉफिट को 50% बढ़ाया।
उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज भारत में हमें सस्ती और किफायती कार्स उपलब्ध हैं। एक इंडस्ट्रियलिस्ट, इन्वेस्टर, और बिजनेस टाइकून होने के अलावा, रतन टाटा एक ट्रेंड पायलट भी हैं, और इसमें कोई शक नहीं कि वह एक सच्चे देशभक्त भी हैं।
रतन टाटा का बिजनेस विजन
रतन टाटा में ऐसा क्या खास है जो उन्हें बाकी बिजनेसमैन से अलग बनाता है? यह सवाल शायद आपके मन में भी आया होगा। इस सवाल का जवाब उनके बिजनेस और समाज सेवा के प्रति उनके नजरिए में छिपा है। रतन टाटा ने हमेशा दूसरों को वैल्यू देने पर जोर दिया है, और यही कारण है कि लोग हमेशा उनके साथ खड़े रहते हैं।
रतन टाटा की कहानी 1961 में शुरू होती है, जब उन्होंने कर्नल यूनिवर्सिटी और हावर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़ाई पूरी कर भारत वापसी की। उनकी पहली जॉब टाटा स्टील की एक शॉप पर लगी, और टाटा ग्रुप के वारिस होने के बावजूद वह बाकी कर्मचारियों के साथ ही रहते, काम करते और सोते थे। 1991 में जब जेआरडी टाटा रिटायर हुए, तब रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया। उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था में सोशलिस्ट मॉडल को बदलकर कैपिटलिस्ट मॉडल को अपनाया जा रहा था, और रतन टाटा ने इसी बदलाव के साथ अपने बिजनेस को बढ़ावा दिया।
टाटा की इंटरनेशनल सफलता
1998 में, रतन टाटा ने देश की पहली मेड-इन-इंडिया कार, टाटा इंडिका, लॉन्च की। इसके बाद उन्होंने टाटा मोटर्स को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया और इंटरनेशनल कंपनियों का अधिग्रहण शुरू किया। 2000 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने यूके की सबसे बड़ी टी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी, टेटले, को 450 मिलियन डॉलर्स में खरीदा। इसके बाद, उन्होंने यूरोप की स्टील कंपनी कोरस को 6.2 बिलियन पाउंड्स में खरीदकर दुनिया में एक बड़ा नाम बना दिया।
लेकिन इस सबके बावजूद, रतन टाटा का नाम दुनिया के सबसे अमीर आदमियों की लिस्ट में क्यों नहीं आता? इसका कारण यह है कि टाटा ग्रुप का 60-65% प्रॉफिट डोनेशन में चला जाता है। रतन टाटा का मानना है कि उनका बिजनेस सिर्फ प्रॉफिट कमाने के लिए नहीं, बल्कि लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए है।
रतन टाटा का सामाजिक दृष्टिकोण
रतन टाटा की सामाजिक सोच का एक बेहतरीन उदाहरण है टाटा नैनो। 10 जनवरी 2008 को नैनो लॉन्च करते समय, उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने एक बारिश के दिन, एक स्कूटर पर सवार एक परिवार को देखा था, जो पूरी तरह से भीग चुका था। यह दृश्य देखकर उन्होंने तय किया कि वह भारतीय मिडिल क्लास के लिए एक सस्ती कार बनाएंगे, और टाटा नैनो उसी का परिणाम है।
टाटा ग्रुप के कर्मचारियों का समर्पण भी उनके लीडरशिप के ही कारण है। ताजमहल होटल में हुए आतंकी हमले के दौरान, होटल के स्टाफ ने अपने ग्राहकों की जान बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी। कर्मवीर कंग जैसे कर्मचारियों का साहस और समर्पण, टाटा ग्रुप की उच्च नैतिकता और वैल्यूज का प्रमाण है।
रतन टाटा की इंसानी खूबियाँ
रतन टाटा की कुछ खूबियाँ उन्हें औरों से अलग बनाती हैं। वह अपने वचन के पक्के हैं। उन्होंने जिस लड़की से शादी का वादा किया था, उसकी शादी किसी और से हो गई, और इस कारण उन्होंने फिर कभी शादी नहीं की। इसके अलावा, वह टीम वर्क में विश्वास करते हैं। उन्होंने कंपनी में 8 घंटे काम करने का कांसेप्ट इंट्रोड्यूस किया और अपने कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस और अन्य हेल्थ बेनिफिट्स प्रदान किए।
रतन टाटा का मानना है कि एक अकेला इंसान कभी भी एक्स्ट्राऑर्डिनरी चीजें हासिल नहीं कर सकता। बड़ी सफलता के लिए एक बड़ी टीम की जरूरत होती है, और इसी कारण वह हमेशा टीम वर्क पर जोर देते हैं।
निष्कर्ष
रतन टाटा अब टाटा ग्रुप के चेयरमैन नहीं हैं, लेकिन उनके एथिक्स, मोरल्स, और वैल्यूज को आज भी टाटा ग्रुप में बखूबी फॉलो किया जाता है। उनकी जीवन यात्रा एक प्रेरणा है, और उनके जीवन के सिद्धांत हर किसी के लिए एक सीख हैं।
आपके क्या विचार हैं रतन टाटा की इस अद्भुत यात्रा के बारे में? हमें कमेंट्स में जरूर बताएं। और अगर आप किसी और महान शख्सियत की कहानी जानना चाहते हैं, तो हमारे साथ बने रहें।
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