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Guava Farming in hindi अमरूद की खेती कैसे की जाती है ?

अमरूद की खेती- ऐसा कौन सा फल है जो गरीबों का सेब नाम से जाना जाता है वह है “अमरूद” अमरूद में विटामिन बी तथा विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है यह पकने पर हल्के पीले रंग का दिखाई देता है पूरे भारत में इलाहाबादी सफेदा अमरूद प्रसिद्ध है अमरूद का गूदा सफेद या लाल रंग का होता है यह पपीता के बाद शीघ्र फल देने वाला पौधा है इसमें तीन चार वर्ष बाद ही फल आने लगता है तथा 30 वर्ष की उम्र तक फल देता है।

अमरूद-की-खेती-करने-का-तरीका

अमरूद की खेती के लिए मिट्टी कैसी होनी चाहिए ?

अमरूद सभी प्रकार की मिट्टी में होता है लेकिन नदियों के कछार की भूमि तथा बलुई दोमट मिट्टी में इसकी पैदावार अच्छी होती है दोमट मिट्टी अमरुद उत्पादन के लिए उत्तम मानी जाती है।

अमरूद की खेती के लिए जलवायु

अमरूद की खेती के लिए शुष्क जलवायु अच्छी मानी जाती है अमरूद की खेती पराया सभी प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है अमरूद के लिए औसत वर्षा वाला क्षेत्र सर्वोत्तम माना जाता है।

अमरूद के पौधे तैयार करना

अमरूद का पौधा मुख्यता दो विधियों से तैयार किया जाता है।

  1. बीज द्वारा
  2. वनस्पति भागों द्वारा-वनस्पति भागों द्वरा अमरुद के पौधे तैयार करने के निम्नलिखित विधियां हैं 1.गोटी बादकर(Air Layering) 2.भेंट कलम बांधकर(Inarching) 3.चश्मा चढ़ाकर(Patch Budding)

पौधे रोपण

अमरूद का पौधे लगाने का उचित समय वर्षा ऋतु (जुलाई-अगस्त) होती है इसके अलावा बसंत ऋतु में (मार्च) भी अच्छा होता है। जहां सिंचाई की व्यवस्था हो अमरुद के पौधे लगाए जा सकता है पौधे किसी विश्वसनीय नर्सरी से लेन लेना चाहिए, पौधे से पौधे की दूरी 8×8 मीटर रखनी चाहिए और हमेशा शाम के समय लगाना चाहिए।

खाद एवं उर्वरक

अमरूद के पौधे लगाते समय प्रत्येक गड्ढे में 30 किलोग्राम सरी गोबर की खाद डालते हैं। इसके अलावा प्रतिवर्ष प्रति पौधा 20 किलोग्राम साड़ी गोबर की खाद 1 किलोग्राम अमोनियम सल्फेट एक किलोग्राम लकड़ी की राख तथा 1 किलोग्राम हड्डी का चूर्ण देने से अच्छी उपज ली जा सकती है।

सिंचाई

अमरूद के बाग में सिंचाई वहां की मिट्टी तथा वर्षा के ऊपर निर्भर करती है इसकी सिंचाई तालाब से करनी चाहिए। जिससे अधिक फायदा मिलता है।

कृषि क्रियाएं

समय-समय पर निराई गुड़ाई करके खरपतवार को निकालते रहना चाहिए।

प्रजातियां

अमरूद की प्रचलित प्रजातियां जैसे इलाहाबादी सफेदा, लखनऊ 49 या सरदार गवावा, बेदाना, सेबिया, इलाहाबादी सुरखा, संगम आदि है।

कटाई छटाई

अमरुद के पौधे की समय-समय पर कटाई छटाई करते रहना चाहिए इससे ऊपर बढ़ जाती है फल आने का समय अमरुद वर्ष में दो बार गर्मियों में जाड़े में फल देती है जाड़े के समय बरसात की अपेक्षा मीठे और स्वादिष्ट होते हैं।

उपज

अमरूद की खेती के लिए अमरूद का पौधा 25 से 30 वर्ष की उम्र तक फल देता है एक पौधे से 400 से 500 फल प्रतिवर्ष प्राप्त होते हैं फलों की संख्या पौधे की प्रजाति और उम्र पर निर्भर करती है

हानिकारक कीट तथा बीमारियां

अमरूद का सबसे हानिकारक रूप घटा रोग है या बरसात में लगता है इसके रोकथाम हेतु प्रति पौधा 3 ग्राम कवकनाशी दवा 1 लीटर पानी में घोलकर उपचारित करना चाहिए

अमरूद में तना छेदक कीट

अमरूद की खेती में तना छेदक कीट का प्रकोप होता है जिसके नियंत्रण के लिए रुई को मिट्टी के तेल केरोसिन आयल में भिगोकर कीट द्वारा बनाए गए छेद में प्रवेश कराकर गीली मिट्टी से बंद कर देना चाहिए इसे कीटाणु मर जाता है।

इलाहाबादी सुरखा किस किस्म का अनुरोध है ?

इलाहाबादी सुरखा अमरूद की एक अच्छी किस्म की प्रजाति है।

लखनऊ में किस किस्म का अमरुद पाया जाता है ?

लखनऊ में लखनऊ 49 किस्म की अमरूद की प्रजाति पाई जाती है।

अमरूद के पौधों की दूरी कितनी होनी चाहिए

अमरूद के पौधों की दूरी 30×30 होनी चाहिएं

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