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टूटी हुई हड्डियां कैसे जुड़ती है Bone Fracture Healing Steps?

हमारे शरीर की हड्डियां बहुत मजबूत हैं इन्हें स्टील से कंपैरिजन करना बिल्कुल भी बेइमानी नहीं है, तभी तो हमारे दैनिक जीवन में mostally stresis और स्ट्रेंथ को हमारी बोनस सहन कर लेती है। लेकिन कुछ सिचुएशन जब ऐसी आती है, जब बोन एक्सट्रीम फोर्सेस को सहन नहीं कर पता है, तो बोन फ्रैक्चर हो जाता है। और ये बोन फ्रैक्चर जब होता है तब हमारे बोन में ये कैपेसिटी होती है, की वो खुद को कुछ दिनों या कुछ महीनो के अंदर ऑटो मैटिकली ही हिल कर ले।

टूटी हुई हड्डियां कैसे जुड़ती है?

देखिए बोन हीलिंग या बोन रिपेयर का यह जो प्रक्रिया है ये चार चरणों में होता है।

1st स्टेज hemotoma

जिसमे से पहला चरण होता है hemotoma इस प्रक्रिया में क्या होता है जो टूटी हुई बोन होती है, उन दो टूटी हुई बूंद के बीच ब्लड का फॉर्मेशन होने लगता है और जैसे ही ये ब्लड क्लॉट हुआ बहुत सारे इन्फ्लेमेटरी mediaters जैसे व्हाइट ब्लड सेल्स और कुछ प्रोटीन जैसी चीजें हैं। इस ब्लड क्लॉट में इंटर करने लगती हैं।

इन टूटी हुई बोनस के पास अगर कोई इन्फेक्शन हुआ या फिर जो डेट सेल्स होती हैं। उनको ये व्हाइट सेल्स खाने लगती हैं और जैसे ही इंफिनिटी इस ब्लड वाले एरिया में आते हैं, तो वहां पर ये इन्फ्लेमेशन करने लगते हैं। यानी वहां पर सूजन होने लगता है हल्का सा दर्द महसूस होने लगता है, जलन जैसी चीजें महसूस होने लगती है।

2nd स्टेज सॉफ्टकेल्स

बोन हीलिंग का दूसरा स्टेज होता है, सॉफ्टकेल्स का फॉर्मेशन दूसरे स्टेज में क्या होता है, दरअसल ये होता है की बोन में जो ब्लड का फॉर्मेशन हुआ है। उसके ऊपर अब फाइब्रो ब्लास्ट और कॉर्नर साइट एक कनेक्टिव टिशु का फॉर्मेशन करने लगते हैं जैसे कार्टिलेज का ये एक बहुत ही मुलायम कनेक्टिव टिशु का फॉर्मेशन होता है, यह जो कनेक्टिव टिशु का फॉर्मेशन हुआ है दो बोनस के बीच में ये इन दो बोनस के बीच में एक ब्रिज का निर्माण कर देता है।

एक्स्ट्रासेल्युलर मैट्रिक्स को रिलीज करके जिससे अब इन दो बोनस को आपस में जोड़ने का जो प्रक्रिया है, वो अब शुरू हो जाता है जैसे ही ये ब्रिज का फॉर्मेशन हुआ एनजीओ जेनेसिस के थ्रू इस बोन एरिया में न्यू ब्लड वेसल्स का फॉर्मेशन होने लगता है, जो यहां पर दोबारा से ब्लड फ्लो को मेंटेन करना शुरू कर देते हैं।

3rd स्टेज हार्डक्यूल्स फॉर्मेशन

इसके बाद में बोन हीलिंग का तीसरा स्टेज चालू हो जाता है जिसे कहते हैं हार्डक्यूल्स फॉर्मेशन अब इसमें क्या होता है। इसमें ये होता है की ब्लड वेसल्स यहां पर बोन के फॉर्मेशन में जो में सेल्स होती हैं। austeoblast उन्हे इस एरिया पर डिलीवर करने लगता है। जिससे होता ये है की इस सॉफ्टकेल्स पर ये ओस्टियोब्लास्ट कैल्सियम और फास्फेट जैसे मिनरल्स को डिपॉजिट करना शुरू कर देते हैं। जिससे की सॉफ्टकैलस मिनिरलाइज्ड होकर हार्डकेल्स के फॉर्म में बदल जाता है।

एक बार यह हार्डकैलस का फॉर्मेशन हो गया दोबारा से उतनी ही मजबूत फॉर्म हो जाती है, लेकिन हड्डी के दोबारा से निर्माण में प्रॉब्लम ये होती है, की इस टूटे हुए हिस्से में थोड़ा एक्स्ट्रा मिस इकट्ठा हो जाता है।

4th stage Remodeling

बोन फॉर्मेशन के कारण से जिसके कारण से ही बोन हीलिंग का चौथा स्टेज अब चालू हो जाता है जिसे कहते हैं रीमॉडलिंग इसमें क्या होता है हमारे बोन के फॉर्मेशन में एक बहुत ही इंपॉर्टेंट सेल होती है, जो की ऑस्टियोप्लास्ट की तरह ही इंपॉर्टेंट होती है इसे कहते हैं osteoplast यह क्या करती है ये continuousali ही बोनस रिसॉर्प्शन रहती रहती है। जिससे नए बोन सेल्स पुराने सेल्स को रिप्लेस कर सके यह जो एक्स्ट्रा मिस इकट्ठा हुआ है। बोन हीलिंग के प्रक्रिया में इसे ये ऑस्टियोप्लास्ट reabsorve कर लेता है।

जिससे दोबारा से बोन अपने पुराने वाले शॉप में आ जाता है लेकिन निशान हमेशा बना रहता है, उस बोन पर जहां पर बोन फ्रैक्चर हुआ रहता है। फ्रैक्चर्स जैसे लॉन्ग बोन का फ्रैक्चर्स को हील करने के लिए सर्जरी के थ्रू रोड भी इंसल्ट करवाना पड़ता है। बोन हीलिंग को सपोर्ट करने के लिए फिलहाल यह जानकारी आपको कैसा लगा मुझे नीचे कमेंट करके बताइए और अपनी प्रतिक्रिया देना न भूले।

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