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HIV AIDS Disease- एचआईवी संक्रमण, लक्षण, कारण और इलाज क्या है?

HIV Aids Disease यानि की Aids का पूरा नाम Acquired Immune Deficiency Syndrome है। यह 20वी सदी का सबसे घातक रोग होने के कारण भारत सहित संपूर्ण विश्व के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के शरीर की अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता अर्थात प्रतिरक्षा क्षमता अथवा इम्यूनिटी (immunity) धीरे धीरे कम होकर अंत में समाप्त हो जाती है।इस रोग से ग्रसित हो जाने पर मनुष्य का शरीर लगातार कमजोर होता जाता है और अंत में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

HIV aids Disease

एड्स वायरस की खोज (Discovery of HIV AIDS Virus)

एड्स एक RNA पश्च विषाणु (retrovirus) के कारण होता है। सर्वप्रथम पेरिस के पाश्चर संस्थान के वैज्ञानिक Dr.Luc Montagnier ने 1983 में समलिंगी पुरुष की लिंग ग्रंथि( Lymph nodes) से एक वायरस को पृथक किया और इसे लिंफोएडीनोपैथी वायरस (LAV) नाम दिया।

इसके बाद अमेरिका के N.I.H.(National Institute of Health) के वैज्ञानिक Robert Gallo के अनुसंधान से स्पष्ट हुआ कि मानव की प्रतिरक्षा क्षमता समाप्त होने का प्रमुख कारण रीट्रो वायरस ( Retro virus)नामक वायरस का संक्रमण है। इसे ह्यूमन T- सेल लाइकोट्रोफिक वायरस- lll (T-cell Lychotrophic Virus III; HTLV III) नाम दिया गया।

ब्रिटेन के Abraham Carpas ने इस Aids वायरस को Clav का नाम दिया। नामकरण की अंतरराष्ट्रीय समिति(International Committee of Virus Nomenclature,ICVN) ने एड्स वायरस को HIV ( Humman Immuno Deficiency) नाम दिया।

एड्स का विस्तार( Epidemiology of HIV AIDS)

25 से 30 वर्षों में ही एड्स ने पूरे विश्व में पहचान बना ली है। HIV का प्रसारण विकासशील देशों में औद्योगिक देशों की तुलना में काफी अधिक हो रहा है। HIV संक्रमण की भारतवर्ष में सर्वप्रथम जानकारी 1986 में मद्रास की कुछ वैश्याओ के उपचार के समय डॉक्टर सुनीति सोलोमन ने दी थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के नए सर्वे के आंकड़ों के अनुसार भारत वर्ष HIV संक्रमण में पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है और संसार में आज 5-6 करोड़ से भी अधिक पुरुष व महिलाएं HIV से संक्रमित हैं।

प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कुल एड्स पीड़ित रोगियों में से लगभग 75% समलैंगिक व्यक्तियों के बीच परस्पर लैंगिक संबंध स्थापित होने के कारण तथा एक से अधिक पुरुषों या स्त्रियों के साथ सहवास (Sexual intercourse) करने के कारण, 17% अंतःशिरा इंजेक्शन (intravenous injection) द्वारा नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले, 2% रुधिर आधान के कारण तथा शेष 6% लोग अन्य कारणवश HIV वायरस से संक्रमित होते हैं।

एचआईवी वायरस का प्रसारण या संचालन

HIV संक्रमित व्यक्तियों के शरीर के सभी तरल पदार्थों जैसे- रुधिर, वीर्य, योनिस्राव आदि के द्वारा ही HIV वायरस स्वस्थ व्यक्तियो की कोशिकाओं में प्रवेश कर बहुगुणन(multiplication) द्वारा अपना विस्तार करता है। HIV के प्रसारण में निम्नलिखित तीन मुख्य विधियां है

1) मादक पदार्थों का नियमित सेवन (Drug addiction): जो लोग निरंतर मादक पदार्थों को अंतःशिरा इंजेक्शन द्वााारा शरीर में प्रविष्टट कराते हैं वेे ऐसा करते समय एक ही सिरिंज काााा उपयोग करते हैंतेे इसके फलस्वरूप HIV संक्रमिित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्तिति में वायरस काााा प्रवेश हो जाता होोोो जाता हैं।

2) लैंगिक संसर्ग (Sexual intercourse): सामान्यतः लैंगिक संसर्ग में मैथुन क्रिया तीन प्रकार की होती हैं- i) मुखीय मैथुन (oral sex), योनिक मैथुन (Vaginal sex) तथा गुदा मैथुन (anal sex)। लगभग 80 % HIV का प्रसारण लैंगिक संसर्ग के अंतर्गत यौनिक संसर्ग द्वारा होता है।

HIV की अधिकाधिक उपस्थित संक्रमित पुरुषों के वीर्य(semen) तथााा संक्रमित स्त्रियों के योनिस्राव मेंं होती है। उपरोक्त केे आधार पर व्यवसायिक यौनाचार करने वाली स्त्रियां या वेश्याएं तथा इनसे लैंगिक संसर्ग करने वाले पुरुष ही सर्वाधिक HIV के प्रसारण का माध्यम होते हैं।

3) चिकित्सीय कारण- कुछ चिकित्सीय कारणों, जैसे- एक्सीडेंट/ दुर्घटना में रोगी के अधिक रुधिर बहने के कारण आपरेशन में रूधिर की क्षतिपूर्ति की आवश्यकता में रोगी की जीवन रक्षा के लिए रुधिर आधान( blood transfusion) आवश्यक हो जाता हैं। डॉक्टर की लापरवाही यााा लालच में AIDS से पीड़ित व्यक्ति का रुधिर स्वस्थ व्यक्ति के शरीर मेंं चढ़ा दिया जाताा है। जिससे एचआईवी वायरस का प्रसारण होता है।

एड्स रोग के लक्षण Aids Symptomes

HIV positive व्यक्ति में 7 से 10 साल बाद विभिन्न लक्षण दिखाई देने लगते है जिनमे ये लक्षण मुख्य है –

  • अचानक वजन में कमी आ जाना
  • बुखार
  • खासी
  • बार बार थकान कि शिकायत रहना

किसी व्यक्ति को देखने से HIV ka पता नहीं लग सकता जब तक रक्त की जांच न कि जाए।

एड्स रोग का निदान या उपचार

कुछ प्रतिजन प्रोटीन(antigenic proteins) संक्रमित t4 लिंफोसाइट्स में HIV के कुछ जींस के नियंत्रण में संश्लेषित होकर रुधिर में मुक्त होती है। समय से इनका निष्क्रिय होना आवश्यक होता है।इसलिए शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र में आवश्यक प्रतिरक्षी प्रोटींस निर्मित होती है।रुधिर में HIV के संक्रमण व प्रतिरक्षी प्रोटींस का पता सिरमी जांच(serological test) से होता है, इसके लिए एलीसा(ELISA) किट का आविष्कार हुआ है।

इस किट का पूरा नाम (Enzyme Immunosorbent Assay Kit ) है। एलिसा किट को पुनः सत्यापित करने के लिए वेस्टर्न ब्लाॅट(Western Blot) नामक कीट भी उपलब्ध है। संसार भर में वैज्ञानिक एड्स नामक महामारी के संक्रमण की पुष्टि व बचाव के उपायों पर दिन- रात काम कर रहे हैं।

HIV Aids के उपचार की कुछ विधियां निम्न है-

संयोजन औषधि उपचार: (Combination Drug therapy): HIV को रोकने में सक्षम विभिन्नन प्रकार की औषधियां उपलब्ध है। इसमें ऐजीडोथाइमिडीन (AZT ), डेेेेलाविरडीन (Delavirdine ), लैैैमिवुडीन (Lamivudine ) आदि औषधीय रोग का उपचार तो नहींंंं कर सकती परंतुुुुुुुु HIV के प्रतिवर्ती‌ ट्रांसक्रिप्टेेज एंजाइम को निष्क्रिय करके HIV के प्रचुरोदभवन को रोक देती है।

HIV विषाणुु से संक्रमित व्यक्ति के रुधिर से एचआईवी विषाणु को पूरी तरह सेे समाप्त करने के लिए प्रोटिएज संदमक एवं दो AZT अनुरूप (analogous) का संयोजन रोगीी को दिया जाता है। यदि कोई रोगी HIV संक्रमण के 3 माह के अंदर ही इस औषधि संयोजन कााााा उपयोग करता है तो परिणाम अतिमहत्त्वपूर्ण दिखाई देते हैं। इस तकनीक के द्वारा अमेरिका में एड्स(AIDS) द्वारााा पीड़ित रोगियों का उपचाार कुशलतापूर्वक करने सेे मृत्युदर 75% की कमी आई है।

• सदोष HIV जीन का एड्स से संग्राम (Defective HIV gene to combat AIDS): इस तकनीक केे अंतर्गत HIV विषाणु के विभेद nef (negative factor) नामक सदोष जीन HIV विषाणु की प्रजनन क्षमता को कम कर देता है।

• कीमोकाइन एवं कैफ(Chemokines and CAF): ऐसे व्यक्ति जिनमें HIV का संक्रमण काफी समय पहले हो चुका हो और एड्स पूर्ण रूप से विकसित न हुआ हो तो उनके रुधिर मेें कीमोकाइन की माात्रा अधिक होती है। आधुनिक न््व्व् अन्वेषणो से स्पष्ट विदित होता है। की CAF CD8+ एड्स की रोकथाम एवं उपचार में विशिष्ट रूप से प्रभावी है।

मानव प्रतिरक्षा न्यूनता विषाणु HIV (human Immuno Deficiency virus) से बचाव के कुछ सुरक्षात्मक उपाय निम्नलिखित हैं-

एड्स जन्मजात रोग नहीं है। यह मानव के जीवन काल में उपार्जित प्रतिरक्षा तंत्र की न्यूनता के कारण विकसित होता है, आत: एड्स के विषय में व्यक्तियों को शिक्षित/ समाज को जागरूक किया जाना चाहिए। प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को एड्स दिवस किसी उद्देश्य मनाया जाता है।

चिकित्सीय कारणों से आवश्यक इंजेक्शन के लिए केवल नई सिरिंज का प्रयोग करना चाहिए और प्रयोग के पश्चात उसे नष्ट कर देना चाहिए।

एचआईवी से बचाव के कुछ सुरक्षात्मक उपाय (Some preventive measure of HIVAids)

  • शंकाग्रस्त लोगों में HIV की नियमित जांच की जानी चाहिए।
  • एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को रक्तदान नहीं करना चाहिए।
  • HIV के रोगी को हेय दृष्टि से नहीं देखना चाहिए ना ही उन्हें अछूत समझना चाहिए।जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध नहीं रखना चाहिए।
  • यौन संपर्क के समय निरोध ( condom)का प्रयोग अवश्य करें।
  • एड्स पीड़ित महिला गर्भधारण ना करें, क्योंकि उससे पैदा होने वाले शिशु को भी यह रोग लग सकता है।
  • एड्स की रोकथाम /नियंत्रण( Control/Prevention of HIV AIDS

इंस्टिट्यूट सुपीरियर डे सेनिटा की वैज्ञानिक बारबरा इंसोली ने एड्स के टीके (vaccine) की जानकारी सफल परीक्षण के पश्चात दी। टीके की सहायता से शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता (immunity) वृद्धि या प्रतिरक्षण क्षमता संतुलित की जा सकती है।संसार के विकसित देशों के वैज्ञानिक जीनी प्रौद्योगिकी (Gene technology) के माध्यम से एड्स की रोकथाम के लिए प्रयास कर रहे हैं।

आज साधारण मनुष्य भी अपने सामाजिक क्रियाकलापों एवं दायित्वों के प्रति जागरूक हो गया है और संभोग में कंडोम उपयोग एवं पूर्ण स्वच्छता पर ध्यान दे रहा है। अंग प्रत्यारोपण में उपयोग में आने वाले अंगों की पूर्णत: जांच की जाती है। रुधिर का ग्रुप का विस्तृत जांच करके ही रुधिर आधान किया जाता है।

इंजेक्शन की सुईयो की भी भली -भांति जांच हो रही है। उपयुक्त सभी आवश्यकताओं के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)अत्यधिक प्रयत्नशील है और प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस की घोषणा की गई है।

एड्स दिवस कब मनाया जाता है?

एड्स दिवस प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है।

एड्स कैसे फैलता है?

एड्स के वाइरस किसी स्वास्थ व्यक्ति के शरीर से मुख्य रूप से संभोग के दौरान वीर्य से, चुम्बन के दौरान लार से, रोगग्रस्त व्यक्ति के रक्त को स्वस्थ व्यक्ति में चढ़ाने से, नशे के लिए कई व्यक्तियों का एक ही सिरिंज के प्रयोग से फैलता है।

एड्स का पूरा नाम क्या है?

AIDS का पूरा नाम (Acquired Immuno Deficiency syndrome) है। यह एक संक्रामक रोग है जिस वायरस से यह पैदा होता है उसे HIV (Humman Immuno Deficiency virus) कहते है।

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