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ईसा मसीह (isaa masih ) कौन थे जीवन परिचय की कहानी

Isaa masih-दोस्तों आज की जानकारी में हम आपको दीन दुखियों के मसीहा ईसा मसीह जिन्हें लोग प्रभु यीशु मसीह के नाम से भी जानते हैं आज की जानकारी में हम इन्हीं के बारे में बताने वाले हैं आपको इनका जन्म कब और कैसे हुआ और इनकी संपूर्ण स्टोरी क्या है।

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अपनी किस्मत का नाम तो सुना ही होगा किस्मत भी ईसा मसीह के जन्म से ही मनाया जाता है तो आज हम इसके बारे में भी संक्षिप्त रूप में जाने गए क्रिसमस कब और क्यों मनाया जाता है।

ईसा मसीह (Isaa masih) कौन थे। यीशु मसीह की कहानी

ईसा मसीह ईसई धर्म के चलाने वाले थे  इस धर्म के मानने वालों को ईसाई कहते हैं वर्तमान में ईसाई धर्म के मानने वालों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है। महात्मा ईसा का जन्म फिलिस्तीन के बेथलहम नगर में हुआ था। आज से लगभग 25000 वर्ष पूर्व उनके जन्म के चौथे वर्ष से इस संबंध प्रारंभ हुआ था।

ईसा मसीह के अन्य नाम

लोग लोग ईसा मसीह को कई नामों से जानते हैं यीशु या यीशु मसीह, जीसस क्राइस्ट जिसे नासरत का यीशु भी कहा जाता है। ईसाई लोगों ने परमपिता परमेश्वर के पुत्र और ईसाई त्रिएक परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते हैं।

ईसा मसीह की कहानी

यीशु मसीह को लोग बहुत प्रेम करते थे भीड़ की भीड़ उनके पीछे-पीछे जाती थी जब वह उपदेश देते थे तब हजारों लोग उनके चारों ओर एकत्र हो जाते थे वह श्रोताओं को कहानियों और उदाहरणों द्वारा शिक्षा देते थे उन्होंने समझाया है-

कुछ डाकू ने एक मनुष्य को मारपीट कर उसके रुपए पैसे और कपड़े छीन लिए थे और उसे लहूलुहान कर के रास्ते में ही छोड़ दिए थे किसी ने भी उसकी मदद नहीं की तभी वहां एक ऐसा मनुष्य पहुंचा जिसे लोग अछूत समझकर घृणा की दृष्टि से देखते थे ना केवल वह मनुष्य ने उसकी मरहम पट्टी की बल्कि उसके लिए उसने पैसे भी खर्च किए आता है लोगों को चाहिए कि वह सब के साथ प्रेम करें और बिना किसी भेदभाव के उनके के साथ भलाई करें।

ईसा मसीह के उपदेश

अपने सताने वालों को भी आशीर्वाद दो हां आशीर्वाद दो अभिशाप नहीं जो आनंद में है उनके साथ आनंद मनाओ और जो शोक में है उनके साथ शोक हंकारी मत बनो दिन जनों के साथ मिल जुल कर रहो अपने आप को बहुत बुद्धिमान मत समझो।

दूसरों पर दोष ना लगाओ जैसा तुम चाहते हो कि मनुष्य तुम्हारे साथ करे वैसा ही तुम भी उनके साथ करो सब स्त्रियों को मां बहन समझो।

वे मनुष्य उपजाऊ भूमि के समान है जो शुभ संदेशों को सुनकर समझते हैं और आजीवन मानते हैं वे उनके व्यवहार में लाते हैं और इससे उन्हें अच्छे फलों की प्राप्ति होती है सब मनुष्य को उपजाऊ भूमि की तरह बनना चाहिए।

यहूदी धर्म गुरुओं को ईशा की लोकप्रियता से भय हो होने लगा वैसा के खून के प्यासे हो गए उन्होंने ईश पर प्रजा को राजा के विरुद्ध भड़काने तथा धर्म विरोध का अभियोग लगाया उन्हें प्राण दंड की सजा मिली उस समय उनकी अवस्था केवल 33 वर्ष की थी।

उन्हें क्रश पर लटका कर पण दंड दिया गया इसीलिए ईसाइयों में क्रश धार्मिक चिन्ह माना जाता है

यीशु (isaa masih) मरते समय उन्होंने हत्यारों के अज्ञान के लिए ईश्वर से क्षमा याचना की जनता के लिए नए संदेश लाने के कारण उन्हें मशीन कहां गया उनके उपदेश बाइबिल ग्रंथ में संग्रहित हैं।

क्रिसमस कब और क्यों मनाया जाता है

ईसा मसीह का जन्म उत्सव किस्मत पर्व के रूप में हर वर्ष 25 दिसंबर को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है यह दिन गिरजाघर यानी कि चर्च को खूब सजाया जाता है पूर्व रात्रि के 12:00 बजे चर्च की घंटियां बजती है ईसा के जन्म का प्रतीक है लोग गिरजाघर में जाकर मोमबत्तियां जलाते हैं और प्रार्थना करते हैं।

यह मानना माना जाता है कि क्रिसमस पर्व का आरंभ संघ निकोलसन के समय से हुआ था संत निकोलसन को फादर संता क्लाउज भी कहते हैं वह बहुत ही धनवान और दयालु पुरुष थे उन्होंने ईसाई धर्म को फैलाने के लिए महान प्रयत्न किए थे क्रिसमस पर्व पर किसी को दान वेशभूषा में वृद्धि मनुष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है उसे फादर संता क्लॉज या फादर किसमिस का प्रतीक माना जाता है।

इस पर्व पर हर इसाई अपने घर के किसी कमरे में या बाहर खुले मैदान में सदाबहार वृक्ष या कृत्रिम विच सजाते हैं इसे क्रिसमस ट्री कहा जाता है यह प्रभु यीशु के अमर जीवन का प्रतीक होता है इस वृक्ष पर रंग-बिरंगी मोमबत्तियां जलाई जाती हैं और उपहार लटकाए जाते हैं बीच की सबसे ऊंची शाखा पर तारा बनाया जाता है या तारा उस तारीख की याद दिलाया दिलाता है जो यीशु के जन्म के समय आकाश में चलता था।

इस दिन लोग एक दूसरे को उपहार देते हैं बच्चे पहले से ही उपहार पाने के लिए संता क्लॉज के नाम पत्र लिखकर अपने पिता माता को दे दिए रहते हैं उन पत्रों को पढ़कर माता-पिता बच्चों के पलंग के नीचे वंचित उपहार यथासंभव रख देते हैं बच्चे उसे संता क्लॉज का दिया हुआ भाषण चाहिए इस दिन के लिए क्रिसमस केक विशेष रूप से बनाया जाता है।

ईसा मसीह ने मानवता को दया और करुणा का उपहार दिया इसी से वह महान पर्व मित्रता शांति और उमंग लेकर आता है यह हमें दीन दुखियों की सफलता का करने तथा सब से प्रेम करने का संदेश देता है इस पर्व को बड़ा दिन अर्थात विशेष दिन दिखाया जाता है।

प्रश्न.1 ईसा मसीह (isaa masih) मसीह कौन थे

उत्तर. ईसा मसीह ईसई धर्म के चलाने वाले थे  इस धर्म के मानने वालों को ईसाई कहते हैं

प्रश्न.2 ईसा मसीह का जन्म कब हुआ

उत्तर. ईसा मसीह (isaa masih) का जन्म आज से लगभग 25-30,000 वर्ष पूर्व हुआ था।

प्रश्न.3 ईसा मसीह के उपदेश

उत्तर. यीशु के प्रचलित उपदेश है पाप से घृणा करो पापी से नहीं बुराई के बदले बुराई मत करो पापी को दंड देना ईश्वर का काम है तुम्हारा नहीं तुम भलाई से बुराई पर विजय प्राप्त करो।

प्रश्न.4 फादर संता क्लॉज कौन थे

उत्तर. संत निकोलस को फादर संताक्लॉज कहते हैं

प्रश्न.5 क्रिसमस का पर्व कैसे मनाया जाता है

उत्तर. ईसा मसीह का जन्म उत्सव किसमस पर्व के रूप में हर वर्ष 25 दिसंबर को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है इस दिन गिरजा घरों को खूब सजाया जाता है खूब रात्रि के 12:00 बजे चर्च की घंटियां बजती है इस ईसा के जन्म का प्रतीक है लोग जगहों में जाकर मोमबत्तियां जलाते हैं और प्रार्थना करते हैं।

प्रश्न.6 क्रिसमस ट्री क्या होता है

उत्तर. क्रिसमस पर्व पर हर ईसाई अपने घर के किसी कमरे में या बाहर खुले मैदान में सदाबहार बीच या कृत्रिम बीच सजाते हैं इसे क्रिसमस ट्री खा जाता है।

प्रश्न.6 पाप से घृणा करो पापी से नहीं किसने कहा था

उत्तर. ईसा मसीह ने कहा था जिन्हें प्रभु यीशु के नाम से भी जाना जाता है।

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1 thought on “ईसा मसीह (isaa masih ) कौन थे जीवन परिचय की कहानी”

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