महाराजा सुहेलदेव श्रावस्ती के पौराणिक भारतीय राजा है। आज की जानकारी में हम आपको बताने वाले हैं महाराजा सुहेलदेव कौन थे और इनके बारे में कुछ रोचक जानकारी क्या क्या है।
महाराजा सुहेलदेव के बारे में जानकारी
17 वी सदी में मुगल राजा जहांगीर के दौर में अब्दुर्रहमान चिश्ती नाम के एक लेखक हुए 1620 के दशक में चिश्ती ने फारसी भाषा में एक दस्तावेज लिखा मिलाते मसूति हिंदी में इसका मतलब मसूद का आईना होता है इस दस्तावेज को गाजी सैयद सलार मसूद की बायोग्राफी बताया जाता है।
मेरा मसूदी के मुताबिक मसूद महमूद गजनवी का भांजा था जो 16 की उम्र में अपने पिता गांधी से अलार्म साहू के साथ भारत पर हमला करने आया था।
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महाराजा सुहेलदेव कौन थे।
जैसा कि ऊपर बताया महाराजा सुहेलदेव श्रावस्ती के अर्थ पौराणिक भारतीय राजा थे कहा जाता है कि इन्होंने 11 वीं शताब्दी की शुरुआत में बहराइच में गजनवी के सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी को पराजित कर मार डाला था। इसका उल्लेख 17वीं शताब्दी के फारसी भाषा के ऐतिहासिक कथा मिरात-ए-मसूदी में उल्लेख किया गया है।
बीसवीं शताब्दी के बाद में विभिन्न हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने उन्हें एक हिंदू राजा के रूप में चयनित किया जिसमें मुस्लिम आक्रमणकारियों को हरा दिया।
प्रोफेसर बद्रीनारायण जो कि एक लेखक है जिन्होंने बताया कि सुगल देव कौन थे जब प्रोफेसर वितरण से पूछा गया कि सुबह देव कौन थे तो उन्होंने एक ही जवाब दिया सुहेलदेव भर लोगों के नायक थे जिनका बहराइच में मंदिर है और उन्होंने अपनी किताब में बताया है।
महाराजा सुहेलदेव के बारे में जानने के लिए जब प्रोफेसर बद्रीनारायण से सवाल किया गया कि सुहेलदेव कौन थे तो उन्होंने एक ही जवाब दिया सुहेलदेव भर लोगों के नायक थे।
राजा सुहेलदेव के नाम से चली ट्रेन
महाराजा सुहेलदेव राजभर के नाम से एक सुपरफास्ट ट्रेन भी चलाई गई है। जिसका नाम है सुहेलदेव सुपरफास्ट एक्सप्रेस जो आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन से गाजीपुर सिटी उत्तर रेलवे से जुड़ी एक सुपरफास्ट ट्रेन है जो भारत में आनंद विहार टर्मिनल और गाजीपुर शहर के बीच चलती है।
शोले सुपरफास्ट एक्सप्रेस का नंबर है 22419/22420 आपको बता दें सुहेलदेव सुपरफास्ट एक्सप्रेस सप्ताह के आधार पर 4 जनों के साथ संचालित किया जाता है।
आपको बता दें ट्रेन का नाम श्रावस्ती के सम्राट राजा सुहेलदेव राजभर के नाम पर रखा गया है।
राजा सुहेलदेव राजभर है या पासी
विभिन्न जाति संघ ने सुहेलदेव को अपने आप में एक के रूप में दर्शाने का प्रयास किया है लेकिन मिलाते मसूदी के मुताबिक सुहेलदेव भर समुदाय से संबंधित है।
1950 और 1960 के दशक के दौरान स्थानीय राजनेताओं ने राजनीतिकरण के हिसाब से इन्हें पासी भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मिराती मसूदी के मुताबिक सुहेलदेव भर यानी कि राजभर जाति के थे।
‘मीरात-ई-मसूदी‘ राजा सुहेलदेव का पहला पुख्ता लिखित जिक्र है। इस दस्तावेज में उन्हें श्रावस्ती के राजा गौर ध्वज का बड़ा बेटा बताया गया है और जिन्हें सुहेलदेव भर भी बताया गया।
पासी एक दलित समुदाय है। और बहराइच के आसपास एक महत्वपूर्ण वोट बैंक भी है धीरे-धीरे पासी पासी ने को अपनी जाति के समुदाय के रूप में महिमामंडित करना शुरू कर दिया।
बीसवीं सदी से सुहेलदेव का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश शुरू हुई है इसके तहत हिंदूवादी संगठन शॉलिंगापुरम हिंदू राजा के तौर पर चित्रित करने लगे जिन्होंने मुस्लिम कर्ताओं को हराया इनके बारे में कहानी चर्चित है कि सदैव को हराने के लिए सलार मसूद ने अपनी सेना की आगे गाय खड़ी कर दी थी ताकि उस पर हमला ना कर पाए लेकिन स्वयं युद्ध से एक रात पहले गायों को छुड़वा दिया और फिर मसूद को हरा दिया।
महाराजा सुहेलदेव पर संगीत
महाराजा सुहेलदेव के नाम पर कई तरह के संगीत भी बनाए गए हैं। राष्ट्रवीर सुहेलदेव जी बारे में बनाए गए संगीत यानी कि गाने को सुनने के लिए आप यूट्यूब में सर्च कर सकते हैं।
महाराजा सुहेलदेव पर बिरहा
राजा सुहेलदेव के नाम पर बिरहा बनाया गया है। राजभर महाराजा सुहेलदेव की वीरता पर बहुत से गाने और बिरहा बनाए गया है। जिसमें उनकी वीरता का वर्णन किया गया है।
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Galat dhokhe se mara wo bhi pichhe se mitti ke andar kil chhupane rakha rha rajao ne Sam ne harana bas ki nahi rajo ki
18 sal ki umar me rel bana rakha tha rajao ko kabile tarif hai