कोरोना वैक्सीन से दिल का दौरा के खतरों के बीच ब्रिटेन की फार्मर कंपनी एस्ट्रा जनिका का बयान सामने आया है कंपनी ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है एस्ट्रा जनिका के प्रवक्ता ने कहा हमारी संवेदनाएं उन लोगों के साथ है जिन्होंने वैक्सीन की वजह से अपनों को खो दिया या जिन्हें बीमारियों का सामना करना पड़ा कंपनी ने आगे कहा हमारी रेगुलेटरी अथॉरिटी के पास दवाइयों और वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर साफ निर्देश मौजूद हैं।
हम सभी मानकों का पालन करते हैं एस्ट्रो जनिका वही कंपनी है जिससे भारत के सीरम इंस्टिट्यूट ने फार्मूला लेकर को वैक्सीन बनाई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि 10 लाख में से सिर्फ सात से आठ लोग ही कोविड शील्ड की वजह से साइड इफेक्ट या थ्रो साइटोपेनिया सिंड्रोम होने का खतरा है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में वैज्ञानिक ने कहा वैक्सीन की पहली डोज के बाद साइड इफेक्ट का खतरा ज्यादा होता है।
दूसरी और तीसरी डोज के बाद यह ना के बराबर हो जाता है साथ ही आमतौर पर साइड इफेक्ट वैक्सीन लेने के दो से तीन महीने बाद नजर आने लगते हैं दरअसल ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया था कि एस्ट्रा जनेका ने यह बात मानी थी उनकी वैक्सीन टीटीएस का खतरा होता है इससे शरीर में उनके थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट काउंटर गिर जाती है।
इसकी वजह से ब्रेन इंजरी हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा रहता है हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में होगा अप्रैल 2021 में ब्रिटेन के एक नागरिक जेमी स्कॉट ने यह वैक्सीन लगवाई इसके बाद उनके शरीर में खून के थक्के जम गए।
इसका सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा उनके ब्रेन में इंटरनल ब्लीडिंग भी हुई इसके बाद स्कॉट ने पिछले साल एस्ट्रा जनिका पर केस दर्ज किया स्कॉट के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि एस्ट्रा जनिका ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में खामियां है और इसके असर को लेकर गलत जानकारी दी गई ब्रिटेन की कंपनी ने अपनी वैक्सीन का फार्मूला भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया के साथ भी शेयर कि किया खास बात यह है, कि एस्ट्रा जनिका की वैक्सीन ऑस्ट्रेलिया में बैन है।
वहीं ब्रिटेन भी अब इसका इस्तेमाल नहीं कर रहा एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वैक्सीन लगवाने वाले करीब 80 फीदी लोगों ने कोविड शील्ड की डोज लगवाई थी।