WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

थ्रोंबो साइटोपेनिया: कोविड-19 वैक्सीन बनाने वाली एस्ट्राजनिका फार्मा कंपनी ने यूके की कोर्ट में आखिरकार कबूल कर लिया।

कोविड-19 वैक्सीन बनाने वाली एस्ट्रा जनिका फार्मा कंपनी ने यूके की कोर्ट में आखिरकार कबूल कर लिया कि हां कोविड-19 की वैक्सीन से कुछ रेयर डेंजरस साइड इफेक्ट्स हुए हैं। खबर आग की तरह दुनिया में फैली गई कई सारे सवाल उठने लगे इंडिया के लोग भी परेशान हो गए जैसे ही उन्हें पता चला कि इंडिया में बनने वाली कॉविडशेल्ड वैक्सीन एस्ट्रा जनेका कंपनी के फॉर्मूले से ही बनी है।

पता चला कि इसकी कोविड वैक्सीन से टीटीएस मतलब कि थ्रंबो साइटोपेनिया सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है इसका सीधा असर ब्रेन पर पड़ सकता है। हार्ट अटैक आ सकता है। ब्रेन स्ट्रोक की कंडीशन पैदा हो सकती है।

क्या होता है टीटीएस और कब होता है?

टीटीएस थ्रोंबो साइटोपेनिया तब होता है जब प्लेटलेट्स की संख्या गिरने लगती है अब ये प्लेटलेट्स क्या होता है ये भी जान लेते हैं प्लेटलेट्स मतलब ब्लड सेल्स के टुकड़े जो चोट लगने पर खून के जमने में मदद करता है, वरना हल्की भी चोट लगेगी तो बॉडी का खून बह जाएगा इसे आप ऐसे समझ सकते हैं थ्रोमबोसिस में ब्लड क्लॉटिंग होती है, जबकि थ्रोम साइटोपेनिया में ब्लीडिंग इन दोनों का साथ होना बहुत ही रेयर है और खतरनाक है।

थ्रोंबो साइटोपेनिया के लक्षण

अब बात करते हैं इसके लक्षण क्या-क्या है जैसे कि सिर दर्द या फिर साफ दिखाई ना देना धुला देखना बोलने में कठिनाई सांस लेने में दिक्कत चक्कर आना सीने में दर्द होना पैर में सूजन ना जाना स्किन पर शरीर में खून के थक्के जमने के निशान पड़ जाना यह सारे लक्षण हैं।

आपको कोवीशील्ड लगाई है वह भी एस्ट्रा जनेका के फार्मूले से बनी है गौर करने वाली बात यह है कि इंडिया में सबसे ज्यादा डोजेस कोवी शील्ड के लगे हैं यानी कि 175 करोड़ इसके बाद 36 करोड़ डोजेस को वैक्सीन के लगाए गए हैं और 7 करोड़ 40 लाख डोजेस कोरवैक्स की लगाई गई है कोविड के वक्त और कोविड के बाद से अब तक कई बार यह सवाल उठे कि क्या कोविड-19 की वैक्सीन सेफ है बहुत लोगों ने जान के खतरे को देखते हुए वैक्सीन नहीं लगाई साइंटिस्ट ने दावा किया कि मेजॉरिटी में यह वैक्सीन लोगों की जान बचा ही रहा है।

खैर अब जॉनी मानी एस्ट्रा जनेका कंपनी ने कोर्ट में पेश डॉक्युमेंट्स में कबूला कि खतरनाक साइड इफेक्ट्स की चांसेस तो है। कोवी शील्ड और वेगस वेरिया नाम से दुनिया में जानी गई इसकी वैक्सीन को अब जिन्होंने भी लगाया है। वह परेशान है एस्ट्रा जनेका वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और ब्रिटिश स्वीडिश फार्मा कंपनी एस्ट्रा जनिका ने अपने को लैब में बनाई है।

ऑक्सफोर्ड के रिसर्चस ने कई सालों से चिंपांजीस के एडिनो वायरल पर रिसर्च की कोविड आते ही यह काम आ गया 2021 जनवरी में पुणे बेस्ड फार्मा फर्म सीरम इंस्टिट्यूट ने एस्ट्रा जनिका ऑक्सफोर्ड से पार्टनरशिप की ताकि इंडिया और मिडिल लो इनकम वाले देशों के लिए कोवीशील्ड बनाया जा सके इस पूरे प्रोसेस में केंद्र और राज्य सरकारों का भी कोलैबोरेशन रहा है 2022 तक 1.7 बिलियन से ज्यादा कोविड शील्ड के डोजेस इंडिया में लगाए गए वर्ल्ड्स लार्जेस्ट वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत सरकार ने भी अपनी इस पर पीठ थपथपाई है।

एस्ट्रा जनेका वैक्सीन को माइल्ड टू मॉडरेट सिमटम्स लिस्ट में रखा जो बेसिकली शॉर्ट टर्म और सेल्फ लिमिटिंग है। एस्ट्रा जनेका वैक्सीन लगने के बाद कैसे साइड इफेक्ट्स दिखे इंजेक्शन साइट पर अजीब सा फील होना अनवेल फील करना थकान बुखार सिर दर्ड जॉ मसल पेन सूजन रेडनेस चक्कर आना धुधला दिखना सुस्ती पसीना ज्यादा आना और एब्डोमिनल पेन कहा गया यह साइड इफेक्ट्स कुछ दिनों के लिए होंगे और अस्पताल जाने की नौबत नहीं आएगी खैर अब दूसरी साइड भी जान लेते हैं।

यह कई देशों में बैन भी था डेनमार्क ऐसा पहला देश था जिसने एस्ट्रा जनिका की कोविड वैक्सीन को सस्पेंड कर दिया था आयरलैंड थाईलैंड नीदरलैंड नॉर्वे आइसलैंड कांगो बल्गेरिया ने भी ऐसा ही किया और सबसे बड़ी बात अगर देखें तो 2021 में जब एस्ट्रा जनिका के ऐसे ब्लड क्लॉट्स वाले केसेस सामने आने लगे तो यूरोपियन कंट्रीज इंक्लूडिंग जर्मनी फ्रांस इटली स्पेन ने भी एस्ट्रा जनिका का इस्तेमाल बंद कर दिया बाद में इसी साल यानी कि 2021 में कनाडा स्वीडन लाटविया और स्लोवेनिया ने भी इन्हें जॉइन कर लिया इस लिस्ट में शामिल हो गए गौर करने वाली बात यह है कि इसी साल इंडिया में इसकी एंट्री हुई और ऐसी हुई कि आधे से ज्यादा पॉपुलेशन ने इसी वैक्सीन को लगाना पसंद किया।

हालांकि डूओ ने इसी टाइम पर मार्च के महीने में एस्ट्रा जनेका कोविड-19 वैक्सीन सेफ्टी सिग्नल के संबंध में एक बयान जारी किया स्टेटमेंट दिया और अभी भी वैक्सीन के लाभों को इसके संभावित जोखिमों से ज्यादा इंपॉर्टेंट बताया आगे सिफारिश की कि वैक्सीनेशन जारी रखा जाए बात है।

साल 2023 की जेमी स्कॉट जो कि ब्रिटिश नागरिक है उसने एस्ट्रा जनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई मई 203 में स्कॉट के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से टीटीएस नहीं हो सकता है

लेकिन मामला बढ़ा तो इस साल फरवरी में हाई कोर्ट में जमा किए गए कानून दस्तावेजों में कंपनी इस दावे से पलट गई इन दस्तावेजों की जानकारी अब सामने आ गई है हालांकि वैक्सीन में किस चीज की वजह से बीमारी होती है इसकी जानकारी फिलहाल कंपनी के पास नहीं है इन डॉक्यूमेंट के सामने आने के बाद स्कॉट के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि एस्ट्राजनेका ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में खामियां है और इसके असर को लेकर गलत जानकारी दी गई।

लेकिन कंपनी ने साइड इफेक्ट्स की बात कबूल नहीं के साथ एक और बात कही कि टीटीएस जरूरी नहीं कि वैक्सीन लेने वाले इंसान को ही हो यह रेयरली नॉर्मल नॉन वैक्सीनेटेड इंसान को भी हो सकता है रिपोर्ट्स की माने तो अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट ने यह वैक्सीन लगवाई थी।

इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटरनल ब्लीडिंग भी हुई डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से यह तक कह दिया था कि वह स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे एक आर्टिकल की भी बात कर लेते हैं।

आर्टिकल 7 अप्रैल 2021 का है यूके की मेडिसिंस एंड हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी ने नई एडवाइजरी जारी की कि कोविड-19 वैक्सीन एस्ट्रेजनेका से रेयरली ब्लड क्लॉट होने के चांसेस हैं इसी के मुताबिक 31 मई 2020 तक यूके में 2 मिलियन डोज कोविड-19 के दिए गए जिसमें कहा गया कि ब्लड क्लॉट का रिस्क 1 मिलियन में चार लोगों को लगभग हो सकता है।

इसी में कहा गया कि वैक्सीन लगाने के बाद करीब 4 दिन तक सिमम पर नजर रखें इसी में आगे बताया गया कि एजेंसी को 31 मार्च 2021 तक 79 ऐसे ब्लड क्लॉट वाले केस रिपोर्ट मिले यह सारे केसेस पहली डोज के बाद ही सामने आए थे रिपोर्ट्स की माने तो वैज्ञानिकों ने सबसे पहले मार्च 2021 में एक नई बीमारी वैक्सीन इंड्यूस्ड इम्यून थ्रंबों साइटोपेनिया सिंड्रोम यानी कि वीआईटीपी थी। आरोप लगा कि वीआईटीएल कि एस्ट्रेजनेका ने इसे खारिज कर दिया एस्ट्रेजनेका ने कहा हमारे रेगुलेटरी अथॉरिटी सभी दवाई और वैक्सीन के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सभी मानकों का पालन करती है।

क्लिनिकल ट्रायल और अलग-अलग देशों के डाटा से यह साबित हुआ है कि हमारी वैक्सीन सुरक्षा से जुड़े मानकों को पूरा करती है दुनिया भर के रेगुलेटर्स ने भी माना है, कि वैक्सीन होने वाले फायदे इसके दुर्लभ साइड इफेक्ट से कहीं ज्यादा है। कंपनी ने यह भी दावा किया कि उन्होंने अप्रैल 2021 में ही प्रोडक्ट इंफॉर्मेशन में कुछ मामलों में टीटीएस के खतरे की बात शामिल की थी खास बात यह है, कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल अब ब्रिटेन में नहीं हो रहा है।

क्योंकि बाजार में आने के कुछ ही महीनों बाद साइंटिस्ट ने इस वैक्सीन के खतरे को भाप लिया था इसके बाद यह सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी भी वैक्सीन का डोज दिया जाए ऐसा इसीलिए क्योंकि एस्ट्रा जनेका केई वैक्सीन से होने वाले नुकसान कोरोना के खतरे से ज्यादा थे खबर यह भी है, कि ब्रिटेन में फरवरी में 163 लोगों को सरकारों ने मुआवजा भी दिया था। इनमें से 158 ऐसे थे जिन्होंने एस्ट्रे जनेका की वैक्सीन लगाई थी खैर अब बात यह है कि इतनी ज्यादा डरने की भी बात नहीं है वैक्सीन लगाए हुए काफी वक्त गुजर चुका है।

अब तक अगर आपको ऐसा कोई सिप्टोम्स आपकी बॉडी में कोई चेंजेज आए हैं तो एक बार डॉक्टर को दिखाकर तसल्ली कर ले लेकिन टीटीएस के मामले में ज्यादातर वैक्सीन लगाने के इनिशियल डेज में देखे गए हैं। ये ऐसे ही मामले हैं, साथ ही जाते-जाते एक और सवाल जो भारत में वैक्सीन आई थी उससे पहले ही कई देशों ने बैन पहले से ही कर दिया था।

जैसे कि हमने आपको बताया सवाल तभी से उठने लगे थे ऐसे में क्या कॉविड पर डिटेल रिसर्च करने की जरूरत नहीं थी क्या कोवैक्सीन को प्रमोट ज्यादा करना सही नहीं था ऐसे में कई और सवाल है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Share on:

Leave a Comment