WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

APMC क्या है क्या है इसके नियम और कानून

APMC in Hindi नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने वाले है। कृषि उत्पाद विपरण सीमित के बारे में। जिसे हम एपीएमसी के नाम से जानते है।

Apmc-kya-hai

किसी बिल पर हमेशा ही कुछ न कुछ बवाल होते रहते हैं इसके लिए सरकार ने एक एक्ट लागू किया जिससे हम एपीएमसी एक्ट के नाम से जानते हैं आज की इस जानकारी में हम जानेंगे एपीएमसी एक्ट क्या है। और इस एपीएमसी एक्ट के तहत किसानों को क्या राहत मिलेगी।

एपीएमसी की पूरी जानकारी (APMC in Hindi)

एपीएमसी का पूरा नाम क्या (APMC Full Form)

एपीएमसी का हिंदी नाम कृषि उपज विपणन सीमित है और एपीएमसी एक्ट कृषि उपज विपणन समिति कानून होता है। APMC in English Agriculture produce Market Committee है।

आपीएमसी क्या है (What is APMC)

किसानों को उनकी सही उपाय का सही मूल्य मिलना आज की भी समस्या नहीं है आजादी के बाद इसके सामने बहुत ही प्रयास किए गए इसके बाद 1970 के दशक में एग्रीकल्चर मार्केटिंग के तहत कृषि विपणन समितियां बनी थी जिसे शॉर्ट फॉर्म में एपीएमसी कहा जाता है

इस समिति के तहत बाजार की अनिश्चिक्ताओ से किसानों को बचाना था। एपीएमसी कानून लागू होने के बाद कृषि बाजारों में व्यवस्था लाने और बिचौलियों के हाथों किसानों का शोषण रोकने हेतु सराहनीय कार्य हुए है।

अधिकांश राज्यों में पहले अपने-अपने APMC act होते थे लेकिन केंद्रीय स्तर पर कानून आने के बाद उसका असली मकसद कामयाब नहीं हो पाया क्योंकि एपीएमसी व्यवस्था समय और जरूरत के हिसाब से विकसित नहीं हो पाई मंडी धाचे में बढ़ोतरी तो हुई लेकिन सर प्लस एग्री कमेटी की खरीदी की बिक्री में वृद्धि से तालमेल नहीं बैठा पा रहे थी।

इसके आधुनिकीकरण एवं प्रतियोगी माहौल को बढ़ाने की कोशिश भी नहीं की गई समय बीतने के साथ ही कई राज्यों ने एपीएमसी मंडियों में वसूले जाने वाले शुल्क को ज्यादा बढ़ा दिया मसलन मंडियों में ग्रामीण विकास निधि किसी कल्याण उपकरण में कर लगा दिए। इसी तरह कुछ मंडियों में फलों एवं सब्जियों के कमीशन एजेंटों के 4% से 8% शुल्क लगा दिए।

APMC Act क्या है।

एपीएमसी कानून के तहत राज्य सरकार जो भी चार्ज तय करती है उसे अंततः किसान ही मरते हैं स्थिति तो यहां तक बदतर है कि सरकारी खरीद में भी 2 फ़ीसदी का चार्ज भी फिक्स है मंडी में जो भी उत्पाद बिकते हैं किसानों से पहले अदतिय खरीदने हैं। सरकार को भी गेहूं या दान खरीदना हो तो पहले किसानों से उड़ा दिया खरीदेंगे उसके बाद उसे एफसीआई। इस तरह से एमपी सी अधिनियम के शक्ति का इस्तेमाल संसाधन पैदा करने या बिचौलियों की हितों की भरपाई में किया जाता रहा है।

किसानों को जो अपने उत्पाद की कीमत मिलती है और ग्राहकों को थाली में खाने के लिए जो कीमत देनी पड़ती है उनकी मतों के अंतर को कहते हैं फार्म टू फोर कीमत वृद्धि का जाता है जय विधि लगभग भारत में 65% तक ही हो सकती है।

APMC के फायदे

  • कृषि उपज से संबंधित विभिन्न खरीद और विवरण गतिविधियों को रोकने के लिए विभिन्न कमीशन एजेंटों या व्यापारियों को अर्थराइज करने की जिम्मेदारी बाजार सीमित की होती है। दूसरे शब्दों में लाइसेंस राज आज के उदार भारत में प्रचलित है क्योंकि व्यापारियों को किसी भी गतिविधि को करने से पहले लाइसेंस लेना पड़ता है।
  • इस अधिनियम के अनुसार राज्य को भूगोल और अन्य किसी प्रिंसिपल या बाजारों के आधार पर विभिन्न बाजारों में विभाजित किया जाता है।
  • बाजार समितियों द्वारा प्रबंधित इन बाजारों का गठन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है मार्केट कमेटी में 10 सदस्य होते हैं जो सरकार द्वारा निर्वाचित या मनोनीत होते हैं लेकिन चुनाव रेयर होते हैं।

किसान केवल अपने कृषि उत्पाद केवल इन कमीशन एजेंटों को या तो पर्सनल रिलेशन के माध्यम से या नीलामी की प्रक्रिया के माध्यम से भेज सकते हैं। थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेता केवल इन एजेंटों या व्यापारियों से कृषि उपज खरीदने के लिए मजबूर होते हैं।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Share on:

Leave a Comment