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लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु कब और कैसे हुई थी, Lal Bahadur Shastri Death Anniversary?

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Lal bahadur shastri untold story: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भारत पाकिस्तान युद्ध 4 दिन ही हुए हैं जब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों के सामने बोलना शुरू किया तो वह कुछ अच्छे मूड में थे यह शास्त्री नहीं 1965 के युद्ध के बाद भारतीय नेतृत्व का आत्मविश्वास बोल रहा था यह वही शास्त्री से जिनके पास से 2 इंच के कद और आवाज का अयूब खान ने 1 साल पहले इनका मजाक उड़ाया था।

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु कब और कैसे हुई थी

1965 की लड़ाई के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन्स लिंकडन ने शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आप ने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की तो हम आपको पीएल 480 के तहत जो लाल गेहूं भेजते हैं उसे बंद कर देंगे उसमें भारत गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था शास्त्री जी को यह बात बहुत जो भी क्योंकि वह बहुत स्वाभिमानी व्यक्ति थे।

“उन्होंने देशवासियों से कहा हम हफ्ते में एक वक्त भोजन नहीं करेंगे इसकी वजह से अमेरिका से आने वाले गेहूं की भरपाई हो जाएगी”

लेकिन इस अपील से पहले उन्होंने अपनी धर्म पत्नी ललिता शास्त्री से कहा कि आप ऐसा कर सकती हैं कि आज शाम हमारे यहां खाना ना बने। मैं कल देशवासियों से एक वक्त का खाना ना खाने की अपील करने जा रहा हूं मैं देखना चाहता हूं कि मेरे बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। जब उन्होंने देख लिया कि हम लोग एक वक्त बिना खाने के रह सकते हैं तो उन्होंने देशवासियों से भी ऐसा करने के लिए कहा।

1963 में कामराज योजना के तहत शास्त्री जी को नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा उस समय वह भारत के गृह मंत्री थे।

जब लाल बहादुर शास्त्री ताजकस सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस गए तो वे अपने खादी ऊनी कोट पहने कर गए। रूस के प्रधानमंत्री अलेक्सी कोशियन ने देखकर समझ लिया कि यह उन्हीं को वोट ताज कसके सर्दी को रोक नहीं पाएगा उन्होंने साक्षी को यह कहकर एक कोर्ट भेंट किया वह इसे ताज कस की सर्दी में पहनेंगे। लेकिन उन्होंने उस कोर्ट को अपने एक दल के सदस्य को पहनने के लिए दे दिया क्योंकि वह अपने साथ पहनने के लिए कोई कोड नहीं लेकर आए थे।

लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु कब और कैसे हुई थी?

लाल बहादुर शास्त्री कुछ लोग इस पूरे मिशन में सक्रिय भूमिका क्यों नहीं निभा रहे थे जाहिर है मौत से जुड़े ढेरों ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब अभी तक नहीं मिला है।

1970 में धर्म युक्त पत्रिका में दिए गए एक इंटरव्यू में यह कहकर खलबली मचा दी कि उन्हें शक है कि शास्त्री जी को विष दिया गया था यह सवाल उनकी पत्नी ने उठाया इसलिए इसे सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता था।

27 मई 1964 देश की प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू दुनिया को अलविदा कह गए कांग्रेस और देश के सामने नेतृत्व का संकट आ खड़ा था देश की राजनीति में नेहरू का कद इतना बड़ा था। कि उसको भरने की चुनौती इतनी आसान नहीं थी। तमाम संभावनाओं के बीच उत्तराधिकारी के रूप में जो नाम सामने आया शायद उसका शायद उसके बारे में उस व्यक्ति को भी पता नहीं था उस शख्स का नाम था लाल बहादुर शास्त्री।

लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पोस्ट इमेज

छोटी सी कद के लाल बहादुर शास्त्री के सामने देश और जनता की बड़ी-बड़ी अपेक्षाओं के ऊपर खरा उतरने की चुनौती थी। देश की कमान उन्होंने उस समय संभाली जब हम आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे थे।

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु

1962 में चीन के साथ में हुई अपमानजनक हारने पूरे देश का मनोबल तोड़ कर रख दिया। शास्त्री जी ने अपने जीवन का एक बहुत बड़ा लंबा हिस्सा महान नेताओं की छत्रछाया में ही गुजारा, जिसके कारण उनकी छवि एक वफादार अनुवाई के रूप में बाहर निकल कर आई उस समय राजनीतिक पंडित एक नेता के रूप में शास्त्री जी में बहुत संभावनाएं नहीं दिख रहे थे लेकिन इन बातों की परवाह किए बगैर शास्त्री अपने मिशन पर लग गए।

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म कब और कहां हुआ था?

शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय में हुआ। महानता की एक समानता जिस दिन उन्होंने जन्म लिया उसी दिन से उनके साथ जुड़ गई क्योंकि 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जी का भी जन्म दिवस होता है।

साधारण परिवार में जन्मे शास्त्री जी का जीवन कभी भी आसान नहीं रही विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए शास्त्री जी ने अपनी पढ़ाई जारी रखी शास्त्री की उपाधि उन्हें विरासत में नहीं मिली काशी विद्यापीठ की परीक्षा में अव्वल आने पर उन्हें शास्त्री की पदवी से नवाजा गया।

असहयोग आंदोलन के बाद उन्हें पढ़ाई और राजनीति साथ साथ चलते रहे इस दौरान वह बढ़-चढ़कर कांग्रेश के कार्यक्रमों में शामिल होते रहे एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में अच्छा खासा अनुभव तो उन्हें हो गया था लेकिन प्रशासनिक जिम्मेदारी का अनुभव उन्हें आजादी मिलने के बाद हुआ उत्तर प्रदेश में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में बनी सरकार शास्त्री जी पुलिस मंत्री बने।

तब लोग पुलिस और पुलिस मंत्री को हिकारत भरी नजरों से देखते थे शास्त्री जी ने अपने साफ-सुथरी छवि के बलबूते लोगों के नजरिए को बदल दिया इधर नेहरू को एक ऐसे कुशल सहयोगी की कमी खल रही थी जो रोज के कामकाज और जिम्मेदारियों में उनका हाथ बटा सके जो शास्त्री के रूप में उनकी तलाश पूरी हो गई 13 मई 1952 को नेहरू ने शास्त्री को रेल और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय में जिम्मेदारी सौंपी।

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु कैसे हुई थी

शास्त्री यहां भी नेहरू की अपेक्षाओं पर खरे उतरे सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था कि 7 दिसंबर 1956 को एक रेल दुर्घटना के नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए शास्त्री जी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सार्वजनिक जीवन में नेतृत्व के जो मापदंड उन्होंने स्थापित किया उसकी मिसाल आज भी दी जाती है।

सत्ता का सुख उन्हें अपने उसूलों से कभी गिरा नहीं सका, यही कारण है कामराज योजना के तहत कांग्रेस के मंत्रियों को मंत्री पद छोड़ संगठन की तरफ ध्यान देने को कहा गया तो इस्तीफा देने वालों की कतार में शास्त्री सबसे आगे थे।

लाल बहादुर शास्त्री 1965 के महानायक थे

प्रधानमंत्री के पद को संभाले उन्हें अभी डेढ़ साल ही हुए थे की हालात कुछ ऐसे बने कि भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया उनके कद और नम्रता को पाकिस्तान उनकी कमजोरी समझने की भूल कर बैठा।

पाकिस्तान की हिमायत करने अमेरिका भी आ गया उसने धमकी थी कि वह गेहूं का आयात बंद कर देगा शास्त्री ने देश के लोगों से अपील की कि हम एक ही वक्त का भोजन करेंगे लेकिन अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे जय जवान जय किसान का नारा बुलंद कर उन्होंने देश के लोगों का उत्साह बनाए रखा।

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु कब हुई थी

रूसी राष्ट्रपति कोस्जिंग ने शांति का प्रस्ताव रखा शास्त्री जी ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 3 जनवरी 1966 को भारतीय प्रतिनिधिमडल ताशकंद पहुंचा अगले 7 दिन तक समझौते को लेकर राजनीतिक उठापटक चलती रही 10 जनवरी को देश-विदेश की सबादताओं ने रिपोर्ट भेजी। उससे यही लगा की बातचीत बिना किसी निर्णय के खत्म हो जाएगी। बातचीत को किसी निर्णायक की कवायत तक पहुंचाने में सोवियत नेता कोस्जिग और विदेश मंत्री गोमिको का पसीना छूट गया।

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु कब हुआ था?

10 जनवरी को सुबह से देर रात तक बैठकों का दौर चलता रहा आखिरकार भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस बात के लिए राजी हो गया कि युद्ध में जीत गई अतिरिक्त जमीन पाकिस्तान को लौटा दी जाएगी समझौते का सबसे महत्वपूर्ण पछ कि दोनों देश की सेना 5 अगस्त 1965 की स्थिति में चले जाएंगे समझौते से शास्त्री जी बहुत खुश नहीं थी।

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु के बारे में संपूर्ण जानकारी

उन्होंने रात को दिल्ली में पत्नी ललिता शास्त्री से बात करने की कोशिश की वह देर रात तक जगे हुए थे उनके दिल और दिमाग में कुछ उथल-पुथल चल रहा था। देर रात उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की और कुछ ही समय के अंदर उनकी मृत्यु हो गई।

उन की अर्थी को कंधा देने वाले वैसे पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान सबसे आगे थे शांति के इस मसीहा के लिए यह शायद सबसे बड़ी श्रद्धांजलि थी।

जय जवान जय किसान का नारा किसने लगाया था?

जय जवान जय किसान का नारा लाल बहादुर शास्त्री जी ने शुरू किया था?

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म कब हुआ था?

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1950 में हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म कहां हुआ था?

शास्त्री जी का जन्म मुगलसराय में हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु कब हुआ था?

शास्त्री जी की मृत्यु पुण 11 जनवरी 1966 को हुआ था?

लाल बहादुर शास्त्री मंत्री पद से इस्तीफा क्यों दिया था?

जब वह रेल मंत्री थी तो एक रेल दुर्घटना हो जाने के कारण उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

लाल बहादुर शास्त्री जी ने मंत्री पद से इस्तीफा कब दिया था?

7 दिसंबर 1956 को एक रेल दुर्घटना के नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए शास्त्री जी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

लाल बहादुर शास्त्री रेल परिवहन मंत्री कब बने थे?

13 मई 1952 को नेहरू ने शास्त्री को रेल और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय में जिम्मेदारी सौंपी।

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