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मलेरिया कैसे होता है? मलेरिया के लक्षण, प्रकार और बचाव के उपाय?

मलेरिया (Malaria) : यह प्लाज्मोडियम वाइवैक्स (Plasmodiumvivax) नामक प्रोटोजोअन द्वारा उत्पन्न होने वाला रोग है। यह रोग मादा एनोफिलीज मच्छर द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

मादा मच्छर द्वारा मनुष्य का रुधिर चूसते समय ये परजीवी मनुष्य के रुधिर में पहुँच जाते हैं और RBCs को नष्ट करते हैं। बड़ी संख्या में R.B.C. के नष्ट होने से हीमोजोइन नामक विषैला पदार्थ बनता है। रोगी को कंपकपी एवं ठंड लगने के साथ तेज ज्वर (105-106°C) चढ़ता है।

कुछ समय बाद पसीना आने से ज्वर कम हो जाता है। इस रोग में सिर दर्द, मितली आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। 2 या 3 दिन बाद ज्वर तीव्र हो जाता है, परजीवी की जाति पर निर्भर करता है।

इस रोग के निदान के लिए मच्छरों का विनाश करने हेतु DDT का छिड़काव किया जाना चाहिये है और घर के समीप गन्दे जल को एकत्र नहीं होने देना चाहिए। मलेरिया की रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation WHO) और राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (National Malaria Eradication Programme NMEP) युद्ध स्तर पर कार्य कर रहा है। इसके उपचार हेतु पेलुडिन, प्राइमाक्वीन, क्लोरोक्वीन आदि औषधियों का सेवन चिकित्सक के परामर्श पर करना चाहिए।

मलेरिया कैसे होता है? मलेरिया के लक्षण, प्रकार और बचाव के उपाय

मलेरिया के प्रकार (Types of Malaria)

मलेरिया तीन प्रकार का होता है।

(i) क्यूटीडियन मलेरिया (Quotidian malaria) :

इस प्रकार के मलेरिया में प्रतिदिन बुखार आता है। इस के मलेरिया का मुख्य कारण प्लाज्मोडियम की दो या अधिक प्रजातियों का संक्रमण होना है।

(ii) तृतीयक मलेरिया या सामान्य जूड़ी बुखार (Tertian malaria or Common Ague) :

इसमें रोगी को दौरा प्रत्येक 48 घण्टे बाद (हर तीसरे दिन) आता है। इसका कारण प्ला० फैल्सीपैरम, प्लाज्मोडवाइवैक्स, तथा प्ला० ओवेल का संक्रमण है। प्ला० वाइवैक्स तथा प्ला० ओवेल के संक्रमण से हल्का तृतीयक मलेरिया (benign tertian malaria) होता है।

इसमें मृत्यु दर कम होती है, क्योंकि नष्ट होने वाले अधिकांश RBCs पुराने व कमजोर होते हैं।

प्ला० फैल्सीपैरम के संक्रमण से घातक तृतीयक मलेरिया (malignant or subtertian or aestivoautumnal or permicious or tropical or cerebral malaria) होता है।

इसमें मृत्यु दर बहुत अधिक होती है, क्योंकि संक्रमित लाल रुधिराणु समूहों में चिपककर रुधिर केशिकाओं में रुधिर के मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं जिससे अंगों में रुधिर परिसंचरण बाधित हो जाता है।

(iii) क्वार्टन मलेरिया (Quartan malaria) :

इस प्रकार के मलेरिया में बुखार 72 घंटे पश्चात् अर्थात चौथे दिन आता है। इस प्रकार के मलेरिया का संक्रमण प्लाज्मोडियम मलेरिआई (Plasmodium malariae)
द्वारा होता है।

मलेरिया के लक्षण(symptoms of malaria)

  1. बुखार
  2. सिर दर्द रहना
  3. उल्टी
  4. जी मचलालना
  5. ठंड लगना
  6. थकान
  7. चक्कर आना।

मलेरिया से बचाव के उपाय(preventive Measures from maleria)

  1. घर के अंदर और आस पास पानी जमा ना होने दें। इसमें मलेरिया के जीवाणु के पैदा होने का खतरा रहता है।
  2. खिड़की और दरवाजे में जारी लगा कर रखे। शाम होने से पहले दरवाजे बंद कर दें।
  3. ऐसे कपड़े पहने जो पूरे शरीर को ढंक सके ।
  4. रात को सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोए।
  5. अन्य मच्छर विरोधी उपकरणों का प्रयोग करे जैसे– electric mosquito bat, repellent cream, sprays etc .
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