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पत्ता गोभी की खेती कैसे की जाती है

पत्ता गोभी एक प्रकार का शाक यानी कि सब्जी है जिसमें केवल कोमल पत्तों का बंदा हुआ सपोर्ट होता है। इसे बंद गोभी और पात गोभी भी कहते हैं यह जंगली कर्मकल्ले से विकसित किया गया है। शाक के लिए उगाया जाने वाला कर्मकल्ला मूल प्रारूप से बहुत भिन्न हो गया यद्यपि फूल और बीज म विशेष अंतर नहीं पड़ा है।

कर्मकल्लें के लिए पानी और ठंडे वातावरण की आवश्यकता होती है। इसको खाद भी खूब चाहिए बीच में दो-चार दिन गर्मी पड़ जाने से भी कर्मकल्ले कि सपूत अच्छा नहीं बन पाता सपोर्ट बनने के बदले इसमें से शाखाएं निकल पड़ती हैं। जिनमें फूल और बीज होने लगते हैं। कर्मकल्ला पाला नहीं सह सकता पाले से यह मर जाता है यद्यपि रितु ठंडी होनी चाहिए तो ही कर्मकल्ले के पौधों को दिन में धूप मिलना आवश्यक है छाए मैं अच्छे पौधे नहीं उगते।

पत्ता-गोभी-की-खेती-कैसे-की-जाती-है

जैसा कि ऊपर हमने आपको बताया कर्मकल्ले ले खूब खाद चाहिए परंतु किसी विशेष प्रकार की खाद की आवश्यकता नहीं है यहां तक की ताजी गोबर से भी यह काम चल जाता है किंतु सड़े गोबर और रासायनिक खाद इसके लिए अधिक उपयोगी है अन्य पौधों में अधिक खाद देने से फूल अथवा फल देर में तैयार होते हैं इसके विपरीत कर्मकल्ला अधिक खाद पाने पर कम समय में ही खाने योग्य हो जाता है। पानी में थोड़ी भी कमी होने से पौधा मुरझाने लगता है और उसकी वृद्धि रुक जाती है पर इसकी जड़ में पानी ज्यादा लगने से पौधा सड़ने लगता है भूमि से पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए जिसमें पानी जड़ों के पास एकत्र ना होने पाए भूमि डोरसी हो अर्थात उसमे चिकनी मिट्टी की भांति बाधने की प्रवृत्ति न हो।

जो भूमि पानी मिलने के पश्चात बधकर कड़ी हो जाती है। वह कर्मकल्ले के लिए उपयुक्त नहीं होती है मिट्टी कुछ बलुई होनी चाहिए इतने पर भी भूमि की गुड़ाई बार-बार करनी चाहिए परंतु गुड़ाई इतनी गहराई ना की जाए जड़ी कट जाए।

करमकल्ले की कई प्रजातियां हैं कुछ तो लगभग 3 महीने में तैयार हो जाती है और कुछ तैयार होने में 6 महीने तक समय लग सकता है भारत के मैदानों के लिए शीघ्र तैयार होने वाली जातियां ही उपयुक्त होती हैं। क्योंकि यहां जाड़ा अधि दिनों तक नहीं पड़ता आकृतियों में भी बहुत अंतर होता है कुछ का पत्ता इतना छोटा और सिर इतना चपटा रहता है कि वह भूमि पर बैठे हुए जान पड़ते हैं भारत के मैदानों में हल्के रंग के करमकल्लें ही उगाए जाते हैं कुछ के पत्ते चिकने और कुछ के झालर दार होते हैं अमेरिका के बीज बेचने वाले 500 से अधिक जातियों के लिए बीज बेचने हैं।

पत्ता गोभी की खेती

यह रवि मौसम की एक महत्वपूर्ण सब्जी है पत्ता गोभी उपयोगी पत्तेदार सब्जी है उत्पत्ति स्थल मध्य सागरीय क्षेत्र और साइप्रस में माना जाता है पुर्तगालियों द्वारा भारत में लाया गया जिस का उत्पादन देश के प्रत्येक प्रदेश में किया जाता है इसे बंदा था बंद गोभी के नाम से भी पुकारा जाता है पत्ता गोभी में विशेष मनमोहक सुगंध सिनिग्रीन ग्लूकोसाइड  के कारण होती है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए और सी तथा कैल्शियम फास्फोरस खनिज होते हैं इसका उपयोग सब्जी और सलाद के रूप में किया जाता है सुखाकर तथा आचर तैयार कर प्रशिक्षित किया जाता है।

जलवायु

बंद गोभी की अच्छी वृद्धि के लिए ठंडी आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है इसमें पाले और अधिक तापमान को सहन करने की विशेष क्षमता होती है बंद गोभी के बीज का अंकुरण 27 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अच्छा होता है जलवायु की उपयोगिता के कारण इसकी दो फसलें ली जाती है पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक ठंड पड़ने के कारण इसकी बसंत और विश्व में कालीन फसलें ली जाती हैं इस किस्म में एक विशेष गुण पाया जाता है यदि फसल खेत में होगी हो तो थोड़ा पाला पड़ जाए तो उसका स्वाद बहुत अच्छा होता है।

भूमि

इसकी खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में की जा सकती है किंतु अगेती फसल लेने के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम रहती है जबकि पछेती और अधिक उपज लेने के लिए भारी भूमि जैसे मृतिका सिल्ट तथा दोमट भूमि उपयुक्त रहती है जिस भूमि का पीएच मान 5.5 से 7.5 हो वह भूमि इसकी खेती के उपयुक्त रहती है खेत की तैयारी के लिए 1 जुलाई मिट्टी पलटने वाले हल से या ट्रैक्टर से करें 34 गहरी जुताई देसी हल्के करके पाटा चला कर समतल कर लेना चाहिए।

बीज की मात्रा

बंद गोभी की बीच की मात्रा उसके बुवाई के समय पर निर्भर करती है अगेती 500 ग्राम और पछेती जातियों के लिए 375 ग्राम बीज एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त है।

पत्ता गोभी के लिए खाद

बंद गोभी को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है इसकी अधिक पैदावार के लिए भूमिका काफी उपजाऊ होना अनिवार्य है इसके लिए प्रति हेक्टेयर भूमि में 300 कुंटल गोबर की अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद और एक कुंतल नीम की साड़ी पत्तियां या नीम की कली या नीम का थाना पिसा हुआ चाहिए केंचुए की खाद 14 दिनों के बाद डालनी चाहिए।

रासायनिक खाद की दशा में 120 नाइट्रोजन 60 किलो फास्फोरस 60 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है निर्धारित मात्रा की आधी नाइट्रोजन पूरी मात्रा में फास्फोरस व कोटा देनी चाहिए शेष बची नाइट्रोजन रोपाई के एक महीना बाद देनी होती है।

1 एकड़ के लिए खाद

  • यूरिया-110
  • एसएसपी-155
  • मुराते ऑफ पोटास-40

तत्व किलोग्राम प्रति एकड़

  • ‍नाइट्रोजन-50
  • फास्फोरस-25
  • पोटास-25

पत्ता गोभी की सिंचाई

बंद गोभी की फसल को लगाने के बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है इसलिए इसकी सिंचाई करना आवश्यक है रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करें इसके बाद आठ 10 दिन के अंतर से सिंचाई करते रहें इस बात का ध्यान रखें कि फसल जब तैयार हो जाए तब अधिक गहरी सिंचाई ना करें अन्यथा फूल फटने का भय रहता है।

फसल की कटाई

गोभी के फूल के पूरे और बढ़िया आकार के होने पर कटाई करें कटाई बाजार की मांग के अनुसार की जा सकती है यदि मांग ज्यादा और मूल्य भी ज्यादा हो तो खटाई जल्दी करें कटाई के लिए चाकू का प्रयोग किया जाता है।

कटाई के बाद

कटाई के बाद फूलों को आकार के अनुसार अलग-अलग करें यदि मांग और मूल्य ज्यादा हो तो कटाई जल्दी की जा सकती है।

इसी तरह से आप पत्ता गोभी की खेती कर सकते हैं और अधिक जानकारी के लिए हमें नीचे कमेंट करके बताएं या कोई जानकारी संबंधित कोई समस्या है तो उसे कमेंट करके जरूर बताएं।

पत्ता गोभी में लगने वाले हानिकारक कीट और रोग की दवाई ?

पत्ता गोभी में लगने वाले हानिकारक कीट और रोगों के दवाइयों के बारे में जानने के लिए नीचे क्लिक करें।

पत्ता गोभी में लगने वाले रोग और कीटाणु की जानकारी

पत्ता गोभी उगाने का सही समय कब होता है ?

सितंबर से अक्टूबर महीने में समतल क्षेत्रों में फसल उगाने के लिए सही माना जाता है।

पत्ता गोभी लगाने के लिए बिजाई की गहराई कितनी होनी चाहिए ?

पत्ता गोभी के लिए बीज 1 से 2 सेंटीमीटर बीजने चाहिए।

1 एकड़ पत्ता गोभी के लिए कितनी मात्रा होनी चाहिए

बिजाई के लिए दूसरों ढाई सौ ग्राम प्रति एकड़ बीज की जरूरत पड़ती है ?

पत्ता गोभी लगाने से पहले खरपतवार को नियंत्रण कैसे करें

फसल को खेत में लगाने से 4 दिन पहले पैंडीमैंथलीन 1 लीटर प्रति एकड़ डालें और बाद में एक गोड़ाई करें

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