लिंफ नोड ट्यूबरक्लोसिस या गले में टीबी की गांठ आज की जानकारी में हम बात करने वाले हैं गले में टीबी के क्या क्या लक्षण है और इसके बारे में पूरी जानकारी जानेंगे। गले में गांठ एक प्रकार का एक्स्ट्रा पलमोनरी ट्यूबरक्लोसिस मतलब फेफड़ों के बाहर टीवी होता है उसी का एक प्रकार है। टीबी बैक्टीरिया से होने वाली एक बीमारी है जिसका कारण एक माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस होता है।
ज्यादातर टीबी फेफड़ों में होता है। फेफड़े से शरीर के दूसरे हिस्से में भी टीवी हो सकता है तो जरूरी नहीं है टीवी सिर्फ फेफड़ों में हो। कई बार ऐसा होता है यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी हो जाता है जैसे गले के अंदर, कुछ लोगों के हड्डी में होता है, कुछ लोगों के पेट के अंदर हो जाता है, कुछ लोगों में त्वचा के अंदर हो जाता है कुछ लोगों में टीवी दिमाग के अंदर भी हो जाता है और यह जरूरी नहीं है कि एक साथ शरीर के सभी हिस्सों में हो जाए।
वैसे यदि गले की टीबी का बात करें तो जितना ट्यूबरक्लोसिस का कुल प्रतिशत होता है उनमें से 15 से 20 प्रतिशत केस गले में टीवी होने देखे जाते हैं। जिसमें गले के अंदर गठान या गिल्टी होती है जिससे मेडिकल भाषा में लिंफ नोड बोलते हैं। ज्यादातर मरीज गले में गिल्टी के शिकायत के साथ आते हैं। गले में टीवी आमतौर पर फेफड़ों से ही से ही शुरू होता है वहां से फेल कर चेस्ट में या फिर गले में भी हो जाता है।
- Health up Capsule in Hindi-हेल्थ अप कैप्सूल उपयोग, फायदे और नुकसान क्या क्या है ?
- Mucormycosis-ब्लैक फंगस क्या है लक्षण,उपचार,और सावधानियां
Table of Contents
गले में टीबी क्यों होता है
इसका कारण माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस ही एक कारण है जिसकी वजह से गले में टीवी या गले में टीबी की गांठ हो जाती है। यह पहले फेफड़ों के अंदर होता है वहां से यह फेलकर लिंफ नोड में चला जाता है जिससे लिंफ नोड ट्यूबरक्लोसिस गले में टीवी हो जाता है।
गले में टीबी के क्या लक्षण है।
चलिए बात कर लेते हैं गले में टीबी के लक्षण के बारे में गले में टीबी के लक्षण बहुत कम होते हैं जैसे कि फेफड़ों में टीवी होने पर खांसी बहुत ज्यादा आती है बलगम आता रहता है खून भी आता है।
- इसका सबसे महत्वपूर्ण लक्षण होता है गले में टीबी गांठ की तरह बन जाता है।
- लिंफ नोड टीबी में बुखार कम आता है लेकिन आ भी सकता है।
- भूख कम लगना
- वजन बहुत तेज कम होना।
- खाना खाने का मन न करना
- रात में ज्यादा पसीना आना
यह छोटे बच्चों में कई बार देखने को ज्यादा मिलता है जिनकी उम्र कम है महिलाओं में भी थोड़ा ज्यादा मिलती है वैसे जो लोग एचआईवी से ग्रसित हैं और जिनका शरीर कमजोर है तो इस तरह के लोगों में ज्यादा मिलती है।
और यदि घर में किसी के टीबी है तो उससे यह जो टीवी का बैक्टीरिया होता है उनके बेटे या बेटी को हो सकता है।
इसे पहचानने के लिए गले में गांड की तरह हो जाता है तो इसके लक्षण है याद रखना है इसमें खांसी बलगम बलगम में खून आना जरूरी नहीं है।
गले में टीबी होने के कारण
- जैसा कि मैंने बताया पहली बार इंफेक्शन हुआ फेफड़ों में वहां से एक कांप्लेक्स बन जाता है जिसे प्राइमरी फोकस कहते हैं। तो यहां से हील हो जाता है लेकिन जैसे ही शरीर में इम्यूनिटी कम होती है यह फिर से एक्टिव हो जाता है और फैलने लग जाता है गांठ के रूप में।
- यदि प्राइमरी डिजीज का बहुत ज्यादा इंफेक्शन हुआ है और शरीर की इम्युनिटी कम है तो पहली बार गांठ में हो सकता है।
- तीसरा होता है ब्लड के द्वारा फैलना यदि ट्यूबरक्लोसिस का बैक्टीरिया ब्लड के अंदर चला गया है और वह लिम्फ नोड में फैल गया है।
गले में टीबी की जांच
- गले में टीबी की जांच के लिए जो गठान होती है उसी में सिरिंज डालकर सैंपल लिया जाता है। जिसे एफएनएसी कहते हैं और इस टेस्ट को एफएनएसी टेस्ट कहते हैं।
- दूसरी जांच लिंफ से लिया हुआ सैंपल स्लाइड में स्टैन करके बैक्टीरिया को माइक्रोस्कोप के द्वारा पता लगाया जा सकता है।
- टीबी टेस्ट सीबी नाट करके टेस्ट भी किया जाता है जिसे कल्चर करके बैक्टीरिया का पता लगाया जाता है।
- इसके अलावा यदि ज्यादा लिंफ नोड बड़े हुए हैं तो उसे निकालकर बायोप्सी किया जाता है।
- डॉक्टर इसके लिए सोनोग्राफी भी करा सकते हैं।
गले मैं टीबी का इलाज
पहले तो टीबी का इलाज संभव नहीं था लेकिन अब सभी अस्पताल में टीवी का इलाज उपलब्ध है। इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। बस इसकी दवाई आपको सही समय पर लेते रहना है इसकी दवा लंबे समय तक चलाई जाती है।
अब अगर गले में टीबी के इलाज की बात करें तो इसका इलाज हर जगह एक जैसा ही होता है। शुरुआत के पहला फेज होता है। जिसमें ज्यादा दवाइयां चलती हैं 2 महीने के लिए या 4 महीने के लिए और फिर उसके बाद कुछ दवाइयां कम कर दी जाती हैं। जिस प्रकार फेफड़ों में होने वाले टीवी का इलाज किया जाता है उसी प्रकार गले में टीबी का इलाज भी किया जाता है।
वैसे तो लिंफ नोड दवाइयों से ठीक हो जाता है लेकिन कुछ ही केस में दवाइयों से ठीक नहीं होता है तो उसे सर्जरी करके निकालने की जरूरत पड़ जाती है। लेकिन ज्यादातर केस में दवाइयों से टीबी ठीक हो जाता है।
जरूरी बात दवाइयां खाते समय यदि आपको किसी भी तरह का साइड इफेक्ट आंख में, कान में शरीर में कोई भी दुष्प्रभाव दिखाई देता है तो उसे डॉक्टर से तुरंत बताएं।